मांगलिक दोष और उसके उपाय – विवाह से पूर्व कुंडली मिलान में जानें इसका वास्तविक अर्थ

विवाह से पूर्व जन्म कुंडली मिलान भारतीय ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें गुण मिलान के साथ-साथ विशेष ध्यान “मांगलिक दोष (मंगल दोष)” पर दिया जाता है।
अक्सर देखने में आता है कि वर-कन्या के गुण तो पूर्ण रूप से मेल खाते हैं, लेकिन केवल मंगल दोष के कारण विवाह को रोका जाता है।
तो क्या सच में मंगल दोष विवाह के लिए बाधक होता है?
क्या इसके उपाय संभव हैं?
आज हम इसी विषय में सभी शंकाओं का समाधान करेंगे।

मंगल दोष क्या है?

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ऊर्जा, शक्ति, साहस और आवेग का प्रतीक माना गया है।
जब कुंडली में मंगल कुछ विशेष स्थानों (भावों) में स्थित होता है, तब इसे मंगल दोष या मांगलिक दोष कहा जाता है।
ऐसे जातक सामान्यतः अत्यंत ऊर्जावान, इच्छाशक्ति से परिपूर्ण होते हैं, परंतु उनमें क्रोध और भावनात्मक तीव्रता भी अधिक होती है।
इसी कारण उनके वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखने के लिए समान ऊर्जा वाले जीवनसाथी की आवश्यकता होती है।

कैसे बनता है मंगल दोष?

शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है —

> “लग्ने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजे।
कन्या भर्तृविनाशाय भर्त्ता कन्या विनाशदः।। ”
अर्थात —
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल
1️⃣ लग्न (1st भाव),
2️⃣ चतुर्थ (4th भाव),
3️⃣ सप्तम (7th भाव),
4️⃣ अष्टम (8th भाव), या
5️⃣ द्वादश (12th भाव)
में स्थित हो, तो वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है।

मांगलिक स्त्री अपने पति के लिए और मांगलिक पुरुष अपनी पत्नी के लिए हानिकारक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है — अतः इसका गहन विश्लेषण आवश्यक होता है।

मंगल दोष के अपवाद (जब यह दोष निष्क्रिय हो जाता है)

1. दोनों जातक मांगलिक हों – यदि वर और कन्या दोनों ही मांगलिक हैं, तो यह दोष एक-दूसरे को संतुलित कर देता है।

2. अन्य पाप ग्रह का संयोजन – यदि किसी की कुंडली में जहां मंगल स्थित है, वहीं पर दूसरे साथी की कुंडली में शनि, राहु, सूर्य या केतु हों, तो मंगल दोष का प्रभाव स्वतः समाप्त हो जाता है।

3. विशेष राशियों में मंगल की स्थिति –

> “अजे लग्ने व्यये चापे पाताले वृश्चिके कुजे।
द्युने मृगे करकिचाष्टौ भौमदोषो न विद्यते।। ”
अर्थात जातक जातिका इन विशेष राशियों में जन्में हो

मेष लग्न में मंगल,

वृश्चिक में चौथे भाव,

मकर में सप्तम,

कर्क में अष्टम,

धनु में द्वादश भाव में हो,
तो मंगल दोष स्वतः समाप्त माना जाता है।

4. अन्य योगों का प्रभाव – यदि द्वितीय भाव में चंद्र-शुक्र योग हो, या मंगल-बृहस्पति दृष्टि हो, अथवा केंद्र में राहु-मंगल योग हो, तो मंगल दोष नष्ट माना जाता है।

प्रभावशाली और आंशिक मंगल दोष में अंतर

आंशिक मांगलिक दोष: जब मंगल लग्न, चतुर्थ या द्वादश भाव में स्थित हो।

प्रभावशाली मांगलिक दोष: जब मंगल सप्तम या अष्टम भाव में हो — यह वैवाहिक जीवन पर अधिक प्रभाव डालता है।
इस स्थिति में मंगल शांति के उपाय अवश्य करने चाहिए।

मंगल दोष के उपाय

1. मांगलिक से मांगलिक का विवाह — यह सर्वोत्तम समाधान माना गया है।

2. कुंभ विवाह या वृक्ष विवाह — पूर्ण मांगलिक दोष में, विवाह से पूर्व विशेष पूजन या कुंभ विवाह करने से भी वैधव्य दोष व मंगलीक दोष समाप्त हो जाता है।

3. गणपति पूजन — विवाहोपरांत दंपत्ति को नित्य केसरिया गणपति का पूजन करना चाहिए।

4. मंगल शांति पूजा — मंगल दोष निवारण हेतु हनुमानजी, कार्तिकेय जी या मंगल देव के मंदिर में विशेष पूजा,और विधिवत मंत्र जप करना शुभ होता है।

5. पवित्र स्थलों की यात्रा — उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर,कोल्हापुर,वेल्लूर के सुब्रमण्य मंदिर में पूजन से अत्यधिक लाभ मिलता है।

मंगल दोष निवारण के विशेष मंत्र

> ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
ॐ अंगारकाय नमः।

या फिर कार्तिकेय जी के मंत्र – “ॐ स्कन्दाय नमः। का नित्य जाप करें

निष्कर्ष

मांगलिक दोष का निर्णय केवल मंगल की स्थिति देखकर नहीं करना चाहिए।
कुंडली के अन्य ग्रहों,योगों और दृष्टियों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
सही विश्लेषण केवल अनुभवी ज्योतिषाचार्य द्वारा ही संभव है।
यदि कुंडली में मंगल दोष बन रहा हो, तो घबराने की आवश्यकता नहीं — उचित परिहार और पूजन से यह दोष शांत किया जा सकता है और वैवाहिक जीवन सुखद बनाया जा सकता है।

लेखक परिचय:
ज्योतिष दैवज्ञ आचार्य पंकज शास्त्री
(वैदिक,पाराशरी और कर्मकांड विशेषज्ञ)
– विवाह एवं कुंडली मिलान में 15+ वर्षों का अनुभव।
आप व्यक्तिगत रूप से भी मंगल दोष निवारण एवं वैवाहिक ज्योतिष परामर्श हेतु संपर्क कर सकते हैं।

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