“जन्मना जायते शूद्रः, संस्काराद् द्विज उच्यते।
वेद पाठात् भवेद् विप्रः, ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः।।“
संस्कार मानव जीवन को पवित्र, श्रेष्ठ और परिष्कृत बनाते हैं। हिन्दू धर्म में कुल 16 संस्कारों का वर्णन मिलता है, जिनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है — मुंडन संस्कार। इसे विभिन्न स्थानों पर चूड़ाकरण, चौलकर्म, केश-छेदन आदि नामों से भी जाना जाता है।
आज के ब्लॉग में हम जानेंगे—
मुंडन संस्कार क्या है?
यह कब किया जाता है?
2026 में मुंडन के शुभ मुहूर्त कौन-कौन से हैं?
और मुंडन करवाते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
मुंडन संस्कार का महत्व
मुंडन संस्कार बालक/बालिका का शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धिकरण माना जाता है।
शास्त्रों में माना गया है कि जन्म के बाद सिर पर उगा हुआ बाल गर्भकालीन दोष, ऊर्जाओं और बाधाओं से संबंधित होता है, जिसका विसर्जन मुंडन संस्कार से किया जाता है।
मुंडन संस्कार किस वर्ष में होता है?
शास्त्रों के अनुसार—
बालक (Boy) का मुंडन विषम वर्ष में किया जाता है —
1, 3, 5, 7, 9, 11
बालिका (Girl) का मुंडन सम वर्ष में किया जाता है —
2, 4, 6, 8, 10, 12 इत्यादि
मुंडन संस्कार कब किया जाता है?
1. केवल उत्तरायण काल में मुंडन श्रेष्ठ माना गया है
उत्तरायण काल—
मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति तक
अर्थात् लगभग जनवरी से जुलाई तक।
इसके अतिरिक्त—
कुछ लोग शारदीय नवरात्र में भी मुंडन कराना शुभ मानते हैं,
या फिर अपनी क्षेत्रीय परंपरा के अनुसार भी यह संस्कार संपन्न करते हैं।
लेकिन श्रेष्ठ मुहूर्त उत्तरायण में ही माने गए हैं।
मुंडन किन तिथियों में नहीं करना चाहिए?
शास्त्रानुसार रिक्ता तिथियों में मुंडन वर्जित है—
चतुर्थी (4)
नवमी (9)
चतुर्दशी (14)
अमावस्या (पितरों को समर्पित इसलिए अमावस्या में भी मुण्डन निषेध होता है)
मुंडन संस्कार की शुभ तिथियां
शुभ तिथियां —
2, 3, 5, 6, 7, 10, 11, 12
और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (13)
मुंडन संस्कार के लिए शुभ वार
सभी वर्णों के लिए—
सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार
इन वारों के अतिरिक्त वर्ण अनुसार भी मुण्डन संस्कार संपन्न करवाया जा सकता है जैसे — रविवार – ब्राह्मण, मंगलवार – क्षत्रिय, शनिवार – वैश्य मुण्डन किया जा सकता है । (दोषरहित) वार होते हैं ।
मुंडन के शुभ नक्षत्र —
अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, अभिजित, हस्त, चित्रा, स्वाती, ज्येष्ठा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती
विशेष ध्यान:
ज्येष्ठा नक्षत्र में घर के ज्येष्ठ (सबसे बड़े) बालक/बालिका का मुंडन नहीं करना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार एक और महत्वपूर्ण नियम
शास्त्र में स्पष्ट निर्देश है—
“न जन्ममासे न च जन्मभे तथा विधौ विरोधे अशुभतारकासु।
युगमाब्दमासे न च कृष्णपक्षे चूड़ा न कार्या खलु चैत्रमासे।।“
अर्थ —
बच्चे के जन्म महीने, जन्म वार, जन्म नक्षत्र, जन्म तिथि,
में मुंडन नहीं किया जाता।
अतः मुंडन से पूर्व चंद्रबल, ताराबल, लग्न शोधन और जन्म राशि का परीक्षण अवश्य कराएं।
मुंडन संस्कार 2026 के शुभ मुहूर्त
(शास्त्रों के अनुसार शुद्ध मुहूर्त)
❌ जनवरी 2026
कोई मुहूर्त नहीं (शुक्र अस्त काल)
फरवरी 2026
6 फरवरी
18 फरवरी
21 फरवरी
मार्च 2026
9 मार्च
11 मार्च
अप्रैल 2026
21 अप्रैल
23 अप्रैल
24 अप्रैल
30 अप्रैल
मई 2026
4 मई
10 मई
(17 मई से 15 जून — ज्येष्ठ अधिकमास)
जून 2026
17 जून
22 जून
24 जून
जुलाई 2026
9 जुलाई
(16 जुलाई से दक्षिणायन प्रारंभ — अतः इसके बाद मुंडन निषेध)
यदि इन मुहूर्तों में मुंडन संभव न हो, तो शास्त्रसम्मत रूप से अगले वर्ष तक प्रतीक्षा करना ही श्रेष्ठ है।
उपसंहार
मुंडन संस्कार केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक वैदिक प्रक्रिया है।
इसलिए इसे केवल शुभ मुहूर्त, उचित नक्षत्र, उत्तम लग्न और जन्मपत्रिका शोधन के बाद ही करना चाहिए।
यदि आप अपने बच्चे के व्यक्तिगत जन्म विवरण के अनुसार
सबसे उत्तम मुंडन मुहूर्त जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञ ज्योतिष परामर्श अवश्य लें।
आचार्य पंकज शास्त्री
(ज्योतिष दैवज्ञ)

