जन्मकुंडली मिलान में वर्णकूट विचार (Varnakoot in Kundali Matching)

प्रिय पाठकों,
कुंडली मिलान (Horoscope Matching) में आज हम चर्चा करेंगे वर्ण विचार की। जब भी हम जन्म कुंडली मिलान करते हैं, तो उसमें सर्वप्रथम वर्ण विचार (Varna Koot) किया जाता है।

वर्ण विचार से हमें एक अंक (1 Point) की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार समाज में चार वर्ण माने गए हैं — ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र, — उसी प्रकार राशियों में भी यही चार वर्ण होते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यदि वर्ण व्यवस्था को ठीक से समझना हो तो ज्योतिष शास्त्र (Astrology) का अध्ययन अपने जीवन में एक बार अवश्य करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र हमें बताता है कि वर्ण किस प्रकार कर्म प्रधान (Karma-based) होते हैं।

राशियों के अनुसार वर्ण विभाजन (Zodiac Signs by Varna)

वर्ण को समझने के लिए पहले 12 राशियों का वर्ण इस प्रकार जाना जाता है –

ब्राह्मण वर्ण (Brahmin Varna) – कर्क, वृश्चिक, मीन

क्षत्रिय वर्ण (Kshatriya Varna) – मेष, सिंह, धनु

वैश्य वर्ण (Vaishya Varna) – वृषभ, कन्या, मकर

शूद्र वर्ण (Shudra Varna) – मिथुन, तुला, कुंभ

(यदि आपने ध्यान दिया हो) तो मीन और धनु — दोनों ही राशियाँ बृहस्पति (Jupiter) ग्रह की हैं। यद्यपि दोनों राशियों के स्वामी एक ही ग्रह हैं, फिर भी उनके वर्ण भिन्न हैं।

धनु राशि (Fire Element) – अग्नि तत्व से संबंध रखती है। इस राशि में जन्मे जातक तेज़तर्रार, शूरवीर और क्रोधी स्वभाव के होते हैं। इसलिए धनु राशि का वर्ण क्षत्रिय होता है।

मीन राशि (Water Element) – जल तत्व से संबंधित है। इस राशि के जातक शांत, विद्याशील और पांडित्य प्रवृत्ति के होते हैं। इसलिए मीन राशि ब्राह्मण वर्ण में आती है।

इससे स्पष्ट होता है कि वर्ण व्यवस्था जन्म से नहीं बल्कि कर्म (Deeds and Nature) पर आधारित है।

गुण मिलान में वर्ण विचार का महत्व (Importance of Varna in Guna Milan)

गुण मिलान के दृष्टिकोण से देखें तो –

यदि वर (Groom) का वर्ण कन्या (Bride) के वर्ण से उच्च या समान हो, तो हमें कुंडली मिलान में पूर्ण 1 गुण (Full Point) की प्राप्ति होती है।

यदि दोनों के वर्ण भिन्न (Different) हों, तो 0 अंक (Zero Point) प्राप्त होता है।

जब वर और कन्या की कुंडली में वर्ण दोष (Varna Dosh) बनता है, तो उनके रहन-सहन, विचार और स्वभाव में असमानता आती है। यह वैचारिक मतभेद (Mental Disagreement) और क्लेश (Disputes) का कारण बन सकता है।

वर्ण दोष का परिहार (Remedies for Varna Dosh)

(1) यदि वर की राशि का वर्ण कन्या के वर्ण से हीन (Lower) हो, किंतु –

दोनों के राशि स्वामी (Lords of Signs) उत्तम हों, या

वर-कन्या के राशि स्वामी परस्पर मित्र (Friendly) या सम (Equal) हों,
तो वर्ण दोष का प्रभाव नगण्य (Negligible) हो जाता है।

वर्ण अनुसार राशिस्वामियों की स्थिति इस प्रकार है –

सूर्य और मंगल – क्षत्रिय वर्ण

चंद्रमा – वैश्य वर्ण

बुध और शनि – शूद्र वर्ण

गुरु और शुक्र – ब्राह्मण वर्ण

(2) यदि वर-कन्या की राशियाँ अलग-अलग हों, लेकिन राशिस्वामी एक ही हो, तो भी वर्ण दोष समाप्त माना जाता है।

(3) नवमांश कुंडली (Navamansh Chart) में यदि वर-कन्या के नवमांशेश परस्पर मित्र या सम हों, तो भी दोष का प्रभाव नहीं रहता।

(4) यदि वर-कन्या का एक ही नवमांश हो, तो भी वर्ण दोष निष्प्रभावी (Nullified) माना जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

वर्ण विचार कुंडली मिलान का एक सूक्ष्म किंतु महत्वपूर्ण अंग है। यह न केवल जातक के स्वभाव और कर्म के आधार को दर्शाता है, बल्कि दांपत्य जीवन में संतुलन और सामंजस्य (Harmony) बनाए रखने में भी सहायक होता है।

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ज्योतिष दैवज्ञ आचार्य पंकज शास्त्री
(Astrologer & Kundali Expert)

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